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(गीता-46) आत्मज्ञान के प्रकाश में, अंधे कर्म सब त्याग दो... || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2023)

2024-10-18 50 Dailymotion

‍♂️ आचार्य प्रशांत से समझे गीता और वेदांत का गहरा अर्थ, लाइव ऑनलाइन सत्रों से जुड़ें:<br />https://acharyaprashant.org/hi/enquir...<br /><br /> आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं?<br />फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?...<br /><br />➖➖➖➖➖➖<br /><br />#acharyaprashant<br /><br />वीडियो जानकारी: 27.09.23, गीता समागम, ग्रेटर नॉएडा <br /><br />प्रसंग: <br /><br />मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा । <br />निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः ॥<br />भगवद गीता - 3.30 <br /><br />अर्थ: विवेक बुद्धि द्वारा सारे कर्म तथा कर्मफल मुझ में अर्पित करके निष्काम, <br />ममता-रहित और शोक- शून्य होकर तुम युद्ध करो।<br /><br />आत्मज्ञान के प्रकाश में <br />अंधे कर्म सब त्याग दो <br />निराश हो निर्मम बनो <br />तापरहित बस युद्ध हो<br /><br />~ ऋषि किसे त्यागने के लिए कह रहे हैं?<br />~ जगत बंधन है या मुक्ति का अवसर, यह किस पर निर्भर करता है?<br />~ संसार के साधनों का सार्थक उपयोग क्या है?<br />~ सुख किसे कहते हैं?<br />~ जगत क्या है?<br />~ क्यों कोई वस्तु हीन या श्रेष्ठ नहीं होती? वस्तुओं से हमारा रिश्ता कैसा होना चाहिए?<br /><br />माटी चुन चुन महल बनाया, लोग कहें घर मेरा । <br />ना घर तेरा, ना घर मेरा, चिड़िया रैन बसेरा ॥<br />संत कबीर<br /><br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~

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